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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को उद्धव सरकार से विश्वास मत हासिल करने को कहना गलत था। लेकिन, अब हो ही क्या सकता है? सुप्रीम कोर्ट के इस सवाल पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उद्धव सरकार को बहाल किया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बेबसी जताई। उसने कहा कि अब यह संभव नहीं है कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को खारिज करके दोबारा उद्धव ठाकरे की सरकार बनवाई जाए। सुप्रीम कोर्ट में ये बातें नौ दिनों की लंबी सुनवाई के आखिर में हुई। एकनाथ शिंद के नेतृत्व में शिव सेना के एक धड़े का अलग होकर उद्धव सरकार के खिलाफ बगावत करने के मुद्दे पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि राज्यपाल ने गलत किया, साथ ही उसने यह बेबसी भी जताई कि जो हुआ, उसे सुधारा नहीं जा सकता है।
सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट जब राज्यपाल की गलती मान रहा है तो फिर उसे सुधारने में क्या परेशानी है? सर्वोच्च न्यायालय ने इसका भी जवाब दिया। उसने कहा कि जब उद्धव ठाकरे की सरकार ने विश्वास मत परीक्षण का सामना ही नहीं किया और यह मान लिया कि विधायकों की पर्याप्त संख्या उनके पास नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ने विश्वास मत परीक्षण का सामना किए बिना ही इस्तीफा दे दिया। इसका मतलब है कि उन्होंने खुद ही हार स्वीकार कर ली तो फिर उन्हें दोबारा सरकार बनाने की इजाजत कैसे दी जा सकती है? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने अपनी आखिरी टिप्पणी में महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के गिरने पर कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। बेंच ने कहा, ‘दोनों पक्षों की दलीलों और दस्तावेजों के परीक्षण के बाद हम इस निर्णय पर पहुंचे कि मुख्यमंत्री से 30 जून को विश्वास मत हासिल करने की राज्यपाल की मांग ही गलत थी, लेकिन हम इसके बदले क्या राहत दे सकते हैं?’