बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण रखकर भावी पीढ़ी को सौपना है: कश्यप


बस्तर। वन मंत्री केदार कश्यप ने बस्तर मड़ई और क्षेत्रीय सरस मेले का शुभारंभ किया। उन्होंने शुभारंभ समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि बस्तर मड़ई का उद्देश्य यहां की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण रखकर भावी पीढ़ी को सौपना है। इसी प्रकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए लगाए गए सरस मेला स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और महिलाओं और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने का माध्यम है।  

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा बस्तर मड़ई और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा क्षेत्रीय सरस मेले का आयोजन जगदलपुर के लालबाग मैदान में 12 से 19 अक्टूबर तक आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में शासकीय योजनाओं पर आधारित प्रदर्शनी और स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की प्रदर्शनी और बिक्री होगी। मेले में कई जिलों के स्व सहायता समूहों ने हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद, जैविक खाद्य पदार्थ, कपड़े, और अन्य स्थानीय वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। शुभारंभ अवसर पर नागलसर के स्कूली बच्चों ने धुरवा मड़ई का आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया।

शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बस्तर सांसद महेश कश्यप ने कहा कि बस्तर मड़ई में लगाई गई प्रदर्शनी के माध्यम से दी जा रही है। योजनाओं की जानकारी का लाभ उठाएं और सरस मेला में विभिन्न जिलों से पहुँचे स्व-सहायता की दीदियों द्वारा निर्मित उत्पाद की खरीदी कर उन्हें प्रोत्साहित करें। विधायक श्री किरणदेव ने कहा कि बस्तर का परंपरा दशहरा के अवसर पर शासन की जन कल्याण योजनाओं का विभागों द्वारा लगाया गया है इसका लाभ सभी नागरिक लें। साथ कार्यक्रम में खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है इसका आनंद भी लें।

वन मंत्री केदार कश्यप, विधायक किरणदेव, विधायक चित्रकूट विनायक गोयल, महापौर सफीरा साहू सहित अन्य जनप्रतिनिधि ने मेले में लगाए गए विभिन्न विभागों के स्टालों और स्व-सहायता समूहों के स्टालों का निरीक्षण किया और विभागीय स्टालों में योजनाओं के हितग्राहियों को सामग्री का वितरण किया। उन्होंने स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की सराहना की और उनके माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की।