वॉटर बर्थ का ट्रेंड विदेशों में बाद भारत में भी बढ़ रहा, जानिएं इसके फायदे…

हेल्थ डेस्क। वॉटर बर्थ भारत में महिलाओं के बीच पॉपुलर होने लगा है। इस तकनीक के बारे में जानने से पहले दिल्ली के सीताराम भरतिया इंस्टीट्यूट में वॉटर बर्थ डिलीवरी करवाने वाली एक महिला के अनुभव को जानते हैं।

हेल्थ डेस्क। वॉटर बर्थ भारत में महिलाओं के बीच पॉपुलर होने लगा है। इस तकनीक के बारे में जानने से पहले दिल्ली के सीताराम भरतिया इंस्टीट्यूट में वॉटर बर्थ डिलीवरी करवाने वाली एक महिला के अनुभव को जानते हैं।

‘पहली बार मां बनने जा रही थी। बेबी के आने को लेकर बेहद खुश थी लेकिन जैसे-जैसे डिलीवरी का टाइम करीब आता गया, घबराहट बढ़ती गई। नॉर्मल या सिजेरियन की चिंता बनी रहती। तब मैंने पहली बार वॉटर बर्थ के बारे में सुना। फिर मैंने और मेरे हस्बैंड ने वॉटर बर्थ डिलीवरी को चुना। जो कंफर्टेबल भी रहा।’

गुंजन चोपड़ा फोटो देने में असहज महसूस कर कर रही थीं।

वॉटर बर्थ यानी पानी के भीतर बैठकर शिशु को जन्म देना। यानी जब एक्टिव लेबर पेन हो तो महिला को वॉटर पूल में ले जाकर बिठाया जाता है जहां न केवल उसे लेबर पेन से राहत मिलती है बल्कि बेबी की डिलीवरी में भी आसानी होती है।

हिंदी और फ्रेंच फिल्मों में काम करने वाली मशहूर एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन ने भी वॉटर बर्थ से अपनी पहली संतान को जन्म दिया था। कल्कि ने सोशल मीडिया पर अपनी फोटो शेयर की और बताया कि एक्टिव लेबर पेन में उन्होंने वॉटर बर्थ का ऑप्शन चुना और हेल्दी बेबी को जन्म दिया। कल्कि का जन्म भी वॉटर बर्थ से हुआ था।

तमिल एक्टर नकुल जयदेव की वाइफ श्रुति का पहला बेबी 2020 में और दूसरा बेबी 2022 में वॉटर बर्थ से ही हुआ। सेलिब्रेटीज ही नहीं, बल्कि मिडिल क्लास परिवारों की महिलाएं भी वॉटर बर्थ के तरीके को अपना रही हैं।

यूरोपियन देशों में वॉटर बर्थ का चलन अधिक है। भारत में भी कुछ शहरों में वॉटर बर्थ की सुविधा मिलने लगी है। 

दिल्ली स्थित सीताराम भरतिया इंस्टीट्यूट में IVF, ऑब्स्टट्रिशन और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. प्रीति अरोड़ा धमीजा बताती हैं कि वॉटर बर्थ की प्रक्रिया किसी नॉर्मल डिलीवरी की तरह ही है। एक्टिव पेन में महिला को एक वॉटर पूल में बिठाया जाता है। आमतौर पर ये वॉटर पूल पोर्टेबल होते हैं। कुछ ही अस्पतालों में ये स्थायी रूप से बने होते हैं। पूल में बेबी बंप की हाइट तक गुनगुना पानी भरा होता है। कई बार आधे-एक घंटे के अंदर ही महिला शिशु को जन्म दे देती है। कई बार 5-6 घंटे का भी समय लग सकता है।