अनुसूचित क्षेत्र के लिए प्रावधानित बजट के अनुरूप राशि का हो शत- प्रतिशत उपयोग : नेताम


रायपुर। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग मंत्री रामविचार नेताम ने कहा है कि अनुसूचित क्षेत्र के लिए प्रावधानित बजट के अनुरूप मिलने वाली राशि का शत- प्रतिशत उपयोग संबंधित क्षेत्र के विकास में किया जाए। उन्होंने कहा कि एसटी-एसटी वर्ग के लोगों के विकास में संवदेनशीलता के साथ कार्य करते हुए उन्हें समाज के मुख्यधारा में लाने के लिए शासन की योजनाओं से लाभान्वित किया जाए। मंत्री श्री नेताम मंत्रालय में वृहद बैठक में अनुसूचित जनजाति घटक एवं अनुसूचित जाति उपयोजना मदांतर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 में बजट प्रावधान की वित्तीय एवं भौतिक उपलब्धियों की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।
    
आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास मंत्री श्री नेताम ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार द्वारा जो भी राशि उपलब्ध कराई जाती है उसका शत-प्रतिशत उपयोग इस वर्ग के विकास में होना चाहिए। आज भी अनेक क्षेत्रों में बिजली, पक्की सडकें, शुद्ध पेयजल तथा अन्य आधारभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं, जिससे इनका विकास अवरूद्ध है। बहुत से अनुसचित क्षेत्रों में निवासरत लोग पानी में फ्लोराइड एवं आर्सेनिक की अधिक मात्रा के कारण रोगग्रस्त हैं, परन्तु अभी तक उनकी समस्या का सही से निराकरण नहीं हो पाया है। इस संबंध में उन्होनें पीएचई विभाग को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। है। नई सरकार के गठन के बाद मंत्री श्री नेताम की अध्यक्षता में पहली बार यह बैठक आयोजित हुई है। उन्होंने संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों के साथ वृहद बैठक कर इन वर्गों के विकास के कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।
    
मंत्री श्री नेताम ने उप-योजना क्षेत्रों में अधूरे अथवा लंबित निर्माण एवं विकास के कार्यों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने अधिकारियों को उप-योजना क्षेत्रों के विकास के लिए स्वीकृत सभी कार्यों को तेजी से पूरा कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का 65 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र अनुसूचित जनजाति उप-योजना क्षेत्र के अंतर्गत आता है। राज्य के लगभग 1100 से अधिक गांव अनुसूचित जाति बाहुल्य तथा 4000 से अधिक गांव अनुसूचित जनजाति बाहुल्य वाले है। इन क्षेत्रों तथा यहां के लोगों के उत्थान के लिए बीते 3 सालों में एक लाख करोड़ रूपये से अधिक का बजट उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने कहा कि समय सीमा में बजट का शतप्रतिशत उपयोग हो तथा इसका लाभ उन लोगों को मिले जिसके लिए यह राशि प्रावधानित है। मंत्री श्री नेताम ने उप-योजना क्षेत्रों में विकास एवं निर्माण के कार्यों की सतत् मानिटरिंग एवं समीक्षा के निर्देश भी अधिकारियों को दिये।

मंत्री श्री नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प के अनुरूप विकसित छत्तीसगढ़ की संकल्पना की गई है। इसको साकार करने के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति एवं कमजोर वर्ग के लोगों का उत्थान तथा अनुसूचित जनजाति उप-योजना क्षेत्र का समग्र विकास जरूरी है। उन्होंने विकास विभाग के अधिकारियों को जनसंख्या के अनुपात में बजट में राशि का प्रावधान किये जाने की बात कही।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के अंतर्गत 5वीं अनुसूची का एक राज्य है। राज्य की 60.55 प्रतिशत भूमि तथा 85 विकासखंड पूरी तरह से पाचंवी अनुसूची के अंतर्गत हैं। राज्य में 29 जिले पूर्णतः या आंशिक रूप से टीएसपी क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं जबकि राज्य का कुल टीएसपी क्षेत्र लगभग 67 प्रतिशत है। इसके अलावा 56 प्रतिशत टीएसपी क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या विद्यमान है। राज्य की इसी महत्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए राज्य बजट में एसटीसी एवं एससीएसपी हेतु बजट प्रावधान में वर्ष दर वर्ष वृद्धि की गई है। वर्ष 2022-23 में जहां अनुसूचित जनजाति घटक एवं अनुसूचित जाति उपयोजना हेतु कुल बजट में कमशः 27.8 प्रतिशत एवं 8.8 प्रतिशत का प्रावधान था, वहीं 2024-25 में इसे बढ़ाकर कमशः 33.3 प्रतिशत एवं 10.3 प्रतिशत कर दिया गया। विभागवार कुल प्राप्त बजट आवंटन में अनु. जाति जनजाति उपयोजना क्षेत्र हेतु व्यय करने के हिसाब से ऊर्जा विभाग सबसे ऊपर रहा है जिसमें लगभग 99.55 प्रतिशत व्यय किया गया है। इसके बाद आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने व्यय किया है।

आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बैठक को संबोधित करते हुए बताया कि एसटीसी एवं एससीएसपी हेतु इतना बजट प्रावधान होने के बावजूद भी आज अनुसूचित क्षेत्रों में निम्न मानव विकास सूचकांक इनके निम्न जीवन स्तर और समग्र कल्याण के अभाव को दर्शाता है। इस क्षेत्र में विशेषकर महिलाओं में निम्न साक्षरता दर विकास में एक प्रमुख बाधक तत्व है। इसके अलावा पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर निर्भरता एवं मुख्यतः आजीविका हेतु वनों पर अधिक निर्भरता होना भी विकास में अवरोधक हो रहा है। अतः उनके समग्र विकास हेतु सभी विभागों को योजनाओं के अभिसरण तथा समुचित कियान्वयन द्वारा शत प्रतिशत योगदान करना चाहिए ताकि इस वर्ग को भी राष्ट्र की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके। बैठक में टीएसपी, सीएसपी की वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की ऑनलाइन समीक्षा हेतु निर्माणाधीन वेब पोर्टल का भी प्रस्तुतीकरण किया गया। इसके माध्यम से विभिन्न विभागों की जानकारी आनॅलाइन प्राप्त हो सकेगी।

बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार, सचिव-सह-आयुक्त आदिमजाति कल्याण विभाग नरेंद्र दुग्गा, सहकारिता सचिव डॉ. सी. आर. प्रसन्ना, महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती शम्मी आबिदी, आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र के संचालक पी.एस. एल्मा सहित सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।