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बिलासपुर ( न्यूज़)। गोल्डी छाबड़ा डेथ केस में बिलासपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपोलो हॉस्पिटल के चार डॉक्टरों के खिलाफ जारी न्यायिक प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। केस की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस रजनी दुबे की अवकाशकालीन बेंच ने की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पुलिस समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। इन डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस ने इलाज में लापरवाही के आरोप में धारा 304-ए के तहत मामला दर्ज किया था। जिसका चालान हाईकोर्ट में पेश किया गया। इस केस में आरोपी डॉक्टरों ने पुलिस की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसकी सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि ऐसे में डॉक्टर इलाज करना छोड़ देगा।
दयालबंद के रहने वाले गोल्डी छाबड़ा को 25 दिसंबर 2016 को पेट में अचानक दर्द उठने पर परिजन अपोलो अस्पताल लेकर गए, जहां उन्हें भर्ती करा दिया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान 26 दिसंबर को गोल्डी की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाने में की। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम कराया और बिसरा जांच के लिए भेज दिया गया। केस के पेंडिंग होने पर परिजनों ने हाईकोर्ट से न्याय की गुहार लगाई। हाईकोर्ट ने इस केस को लेकर आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम और मेडिको लीगल संस्थान ने डॉक्टरों के खिलाफ रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 4 डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
इधर हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने गोल्डी छाबड़ा का इलाज करने वाले डॉ. देवेंदर सिंह, डॉ. राजीव लोचन, डॉ. सुनील केडिया और डॉ. मनोज राय के खिलाफ धारा 304 ए के तहत केस दर्ज कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया। वहीं, सरकंडा पुलिस की कार्रवाई को चुनौती देते हुए डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। इसी मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की अवकाशकालीन बेंच ने डॉक्टरों की याचिका पर सुनवाई की। बेंच को बताया गया कि चार्जशीट पेश की गई, लेकिन अभी आरोप तय नहीं हुआ है। डिवीजन बेंच ने कोर्ट के आगे की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।